वर्ष 2019-20 के लिए प्रमुख खरीफ फसलों की पैदावार के प्रथम अग्रिम अनुमान

कृषि, सहयोग एवं किसान कल्‍याण विभाग ने आज वर्ष 2019-20 के लिए प्रमुख खरीफ फसलों की पैदावार के प्रथम अग्रिम अनुमान जारी किए।
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बचपन के पसंदीदा नाश्ते

बचपन की यादें! बहुत अनमोल, बहुत मीठी… शेयरिंग इज़ केयरिंग का फलसफा हम भाई बहनों के बीच शायद अपने आप से ही था। शरारतें तो बहुत होती थीं पर एक दूसरे की परवाह भी उतनी ही थी। हर काम को मिल-बांटकर कर लेना और एक दूसरे की ज़रूरत का ध्यान रखना, कभी…
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ऊँमी से freekeh तक

बात चले गेहूँ की तो दलिया, घुघरी, गुड़ धनिया, प्रचलित हैं या फिर चलन है गेहूँ के आटे से बने विविध व्यंजन जैसे रोटी, पूड़ी, पराठा, हलवा और इस तरह के कई और। पर जब बात हो गेहूँ की हरी बालियों की तो एक और चीज़ जो बहुत पुराने समय से प्रचलन में रही…
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विश्‍व होम्‍योपैथी दिवस पर अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन

इस अवसर पर होम्‍योपैथी के क्षेत्र में असाधारण कार्यों को मान्‍यता देने के उद्देश्‍य से, होम्‍योपैथी से संबंधित आयुष पुरस्‍कार – लाईफ टाइम अचिवमेंट, बेस्‍ट टीचर, युवा वैज्ञानिक और सर्वश्रेष्‍ठ अनुसंधान प्रदान किया जायेगा। इस बार विश्‍व…
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जैव चिकित्सा अनुसंधान करियर कार्यक्रम को पांच साल आगे और बढ़ाने को मंजूरी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव चिकित्सा अनुसंधान करियर कार्यक्रम (बीआरसीपी) और वेलकम ट्रस्ट (डब्ल्यूटी)/डीबीटी इंडिया एलायंस को इसकी आरम्भिक 10 वर्षीय अवधि (2008-09 से 2018-19 तक) से आगे…
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माँ के हाथ का मुगलई पराठा और चिकेन क़ोरमा

वो चुलबुली गुदगुदा देने वाली बचपन की यादें। माँ का आँचल और पापा की गोद की गर्माहट जब भी याद करती हूँ तो मन खुशियों से भर जाता है। छोटे भाई बहनों के साथ वो कोमल नटखट शरारतें भी याद आ जाती हैं। यूँ तो हम लोग दो बहनें और एक भाई हैं पर मेरे बड़े…
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दशहरा का त्योहार और जय राम की चाट

बचपन... याद आते ही जीवन के सबसे खुशनुमा दौर की यादें आँखों के सामने तैरने लगती हैं। निश्चित ही ये जीवन का सबसे बेफ़िक्री वाला समय होता है। बावजूद इसके, बचपन की तमाम अच्छी-बुरी, खट्टी-मीठी घटनाएँ हमारे दिल-ओ-दिमाग में सदा-सदा के लिए बस जाती…
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तहरी – द सर्जिकल स्‍ट्राइक

यह वाक्‍या लगभग सन् 2000 के आसपास का है। उस समय हमको रोटी से ज्‍यादा चावल खाना पसंद था। खासकर तहरी (मसालेदार खिचड़ी) बहुत पसंद थी। परंतु रोज-रोज घर पर माताजी से तहरी के लिए कहना खतरे से खाली नहीं था क्‍योंकि घर पर हमको छोड़कर बाकी सभी लोगों…
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गुलगुला ऐसो जिया में समाय गयो रे…

बचपन की यादें हम-आप सभी के दिल-ओ-दिमाग के किसी कोने में ताउम्र महफूज़ रहती हैं। ज़रूरत होती है बस यादों की इन परतों को खोलने की। आज की भागमभाग भरी ज़िंदगी में समय की कमी के कारण हम-आप को बचपन की यादों के समंदर में गोता लगाने का मौका ही नहीं…
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बचपन की मस्ती और खट्टी-मीठी यादें

हर व्यक्ति के जीवन में उसके बचपन की यादों का एक पिटारा होता है। जिसे खोलते ही दुःखी से दुःखी व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती है। बचपन ही तो ऐसा समय होता है हमारे जीवन में जो आज के समय में हर व्यक्ति फिर से जीना चाहता है। बचपन की यादें…
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