Aahar Samhita
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नीम – लाख दुःखों की एक दवा

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नीम जिसे किसी परिचय की ज़रूरत नहीं एक औषधीय पेड़ है। आपने इसके औषधीय गुणों के बारे में तो ज़रूर सुना होगा पर इसका भोजन में भी इस्तेमाल होता है। देश के कई क्षेत्रों में नीम की पत्ती, फूल, और फल का भोजन में इस्तेमाल होता है। नीम के फूल और पत्ती का सब्जी में उपयोग होता है। पके फल को ऐसे ही खाया जाता है।

मीठा-कड़वा होता है नीम का फल

नीम का फल स्वाद में मिश्रित मीठा-कड़वा (बिटर-स्वीट) होता है। फूल एवं पत्ती कड़वे (बिटर) होते हैं। नीम के फूल और पत्ती को किसी सब्जी के साथ मिलाकर खाते हैं। इसे किसी व्यंजन विधि के एक हिस्से के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। नीम का फूल सरसों के फूल के जैसा छोटा होता है। इसका रंग मिश्रित सफ़ेद पीला (क्रीम) होता है। कच्चा फल हरे रंग का और पका फल पीला होता है। नीम का फल देखने में ऑलिव या अंगूर जैसा होता है। नीम में फूल अप्रैल में आते हैं। पके फल जुलाई से अगस्त तक मिलते हैं।

नीम को भिन्न भाषाओं में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। मराठी में– कडु लिम्बा (Kadu Limba), बंगाली– नीम, गुजराती– लिम्बा (Limba), तमिल– वेमपु (Vempu) या वेप्पा मरम (Veppa Maram), मलयालम– आर्य वेप्प (Arya vepp), कन्नड़– बेवू (Bevu), तेलगु– वेपा (vepa) के नाम से जाना जाता है।

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लवण से भरपूर

पत्तियाँ और फल लवण (मिनरल्स) से भरपूर होती हैं। फल में सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम पाया जाता है। पकी पत्तियों में कैल्शियम और नई कोमल पत्तियों में आयरन की ज्यादा मात्रा होती है। इसमें फॉस्फोरस, सोडियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम भी भरपूर होता है। इस सल्फर, क्लोराइड और कॉपर भी पाया जाता है। नीम के फूल व पत्तियाँ ऐन्टी-ऑक्सीडेंट गुणों वाले माने गये हैं।

पोषण के इस पहलू के साथ नीम की पत्तियों, फूल और फल का औषधीय महत्व बहुत है। कई रोगों के इलाज़ में कारगर होने के साथ रोगों से बचाव और नियंत्रण में भी सहायक है।

नीम पर शोध और आयुर्वेद से संबन्धित विश्लेषण बताते है कि :

पत्तियां हैं लाभकारी

नीम की पत्तियों में मधुमेह नियंत्रण, अल्सररोधी, कैंसर रोधी, त्वचा रोगों से बचाव और इलाज़ के गुण पाया जाता है। नीम की पत्तियाँ लिवर की क्षति (हीपैटोटोक्सिसिटी ) से संबन्धित अवस्थाओं (जैसे बिलिरूबिन, प्रोटीन, एल्केलाइन फॉस्फेट के स्तर का बढ़ना आदि) के नियंत्रण में भी ख़ासी सहायक होती हैं। नीम की पत्तियाँ मलेरिया रोधी, बैक्टीरिया रोधी, शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने, भूख न लगने (एनोरेक्ज़िया) की समस्या को दूर करने की खूबियाँ रखती हैं। नीम की पत्तियों में उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और कॉलेस्ट्रोल को कम करने का गुण पाया जाता है।

नीम का फल

मूत्र विकार, आंतों के कृमि (इंटेस्टाइनल वर्म्स), पाइल्स, कफ, नकसीर फूटना (एपिस्टाक्सिस),नेत्र रोगों, के इलाज़ मे बहुत उपयोगी हैं।

नीम का फूल

पित्त नाशक, कफ नाशक और कृमि (आंतों के कृमि) नाशक हैं।

नीम की पत्तियों, फूल और फल के अलावा इसकी छाल, बीज़, और गोंद का भी बहुत औषधीय महत्व है।

नीम का उपयोग कई बीमारियों से बचाव में सहायक है। इसके इस्तेमाल में चिकित्सक और डाइटीशियन की सलाह बहुत ज़रूरी है। नीम की ज़्यादा मात्रा का लम्बे समय तक सेवन नुकसानदायक हो सकता है। विशेष अवस्थाओं में नीम के अवयवों (पार्ट/कॉम्पोनेंट) का सेवन मना किया गया है।

पारंपरिक तौर पर भी इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा मात्रा में बहुत लंबे समय तक नहीं किया जाता है।

नोट: किसी भी नए भोज्य पदार्थ को अपने भोजन मे शामिल करने से पहले या भोज्य पदार्थ को नियमित भोजन (रूटीन डाइट) का हिस्सा बनाने से पहले अपने डाइटीशियन,और डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
1 Comment
  1. Akriti says

    Nice article

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