Aahar Samhita
An Initiative of Dietitian Amika

कोरोना अध्‍ययन शृंखला के तहत सात पुस्‍तकों का ई-विमोचन

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने एनबीटी द्वारा प्रकाशित पुस्‍तकों का ई-विमोचन किया

7,321

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कोरोना अध्ययन शृंखला के तहत एनबीटी इंडिया द्वारा प्रकाशित ‘साइको-सोशल इम्पैक्ट ऑफ पैनडेमिक एंड लॉकडाउन एंड हाउ टू कोप विद’ यानी वैश्विक महामारी एवं लॉकडाउन के मनोवैज्ञानिक-सामाजिक प्रभाव और उससे कैसे निपटें, शीर्षक के तहत सात पुस्‍तकों के प्रिंट और ई-संस्करणों का ई-विमोचन किया। इस अवसर पर बोलते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ‘इन दिनों दुनिया जिन विकट परिस्थितियों से जूझ रही है उनसे निपटने के लिए एनबीटी ने पुस्तकों के इन उल्लेखनीय और अनोखे सेट को सामने लाया है। मुझे उम्‍मीद है कि ये पुस्तकें लोगों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए काफी मददगार साबित होंगी।’ विमोचन समारोह के बाद एनबीटी स्टडी ग्रुप के शोधकर्ताओं/ लेखकों के साथ एक ई-इंटरैक्टिव सत्र का भी आयोजन किया गया।

नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया को उसके इस अनूठे प्रयास के लिए बधाई देते हुए श्री निशंक ने शोधकर्ताओं के साथ-साथ उन लोगों के लिए भी आभार व्यक्त किया जिन्होंने इस महत्वपूर्ण सामग्री को पुस्तक रूप में तैयार किया ताकि लोगों को पढ़ने में आसानी हो सके। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक योद्धा के तौर पर लड़ने और आगे की कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए निवारक मानसिक स्वास्थ्य हम सब के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। उन्होंने इन प्रसिद्ध पंक्तियों ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत’ का भी जिक्र किया। इसका अर्थ है कि हमारा मन और मनोवैज्ञानिक स्‍वास्‍थ्‍य ही हमारे कार्यों को निर्धारित करता है।

इस अवसर पर बोलते हुए एनबीटी के अध्यक्ष प्रो. गोविंद प्रसाद शर्मा ने कहा, ‘मैंने अपने जीवन में दुनिया को प्रभावित करने वाली कई महामारियों और बीमारियों को देखा है, लेकिन आज हम जिस परिस्थिति का सामना कर रहे हैं वह कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यह उन लोगों के मनोविज्ञान को भी प्रभावित कर रहा है जो कोरोना प्रभावित नहीं हैं। इसलिए इन पुस्तकों की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है और ये न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी पाठकों की आवश्यकताओं की पूर्ति करेंगे।’ प्रो. शर्मा ने माननीय मंत्री को धन्‍यवाद किया और देश भर में बच्चों को इस वैश्विक महामारी के प्रभाव से दूर रखने और सभी के लिए ई-शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनके मार्गदर्शन और प्रयासों की सराहना की।

एनबीटी के निदेशक श्री युवराज मलिक के नेतृत्व में पूरी परियोजना की परिकल्पना की गई और उसे क्रियान्वित किया गया। उन्‍होंने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री और एनबीटी के अध्‍यक्ष को उनके निरंतर मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया। उन्‍होंने पूरी एनबीटी टीम के साथ-साथ शोधकर्ताओं और चित्रकारों को भी चार सप्ताह का रिकॉर्ड समय में इस परियोजना को पूरा करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बाद पाठकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एनबीटी द्वारा और अधिक नई सामग्री लाई जाएगी।

इस अध्‍ययन समूह के सदस्यों ने इन पुस्‍तकों पर काम करने के अपने-अपने अनुभवों को भी केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से साझा किया। उन्‍होंने बताया कि किस प्रकार वे अपने-अपने घरों से काम कर रहे थे और तकनीक के माध्यम से समन्वय स्‍थापित कर रहे थे। उन्‍होंने बताया कि उनके लिए इसका एक अनूठा अनुभव चिकित्सीय भी रहा जो आज के समय में इन किताबों की जरूरत रेखांकित करता है। प्रख्यात मनोचिकित्सक और इस अध्‍ययन समूह के सदस्‍य डॉ. जितेंद्र नागपाल ने इस अवसर पर बोलते हुए इसके अभूतपूर्व मूल्यवर्धन को रेखांकित किया। उन्‍होंने कहा कि आने वाले समय में ये किताब मनोवैज्ञानिक शोध और परामर्श के क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं क्योंकि भारत में निवारक मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर केन्द्रित हैंडबुक की ऐसी शृंखला बहुत कम है। अन्य सदस्यों में सुश्री मीना अरोड़ा, लेफ्टिनेंट कर्नल तरुण उप्पल, डॉ. हर्षिता, सुश्री रेखा चौहान, सुश्री सोनी सिद्धू और सुश्री अपराजिता दीक्षित शामिल थे।

एनबीटी के संपादक और इस शृंखला के परियोजना प्रमुख श्री कुमार विक्रम ने भी लेखकों, चित्रकारों का धन्यवाद किया। उन्‍होंने लॉकडाउन के दौरान संपादकीय, कला, उत्पादन, आईटी, पीआर, बिक्री आदि विभागों के 30 से अधिक सदस्यों की टीम के साथ इस परियोजना पर काम करने और सामान्‍य पाठकों के साथ समय पर इसे प्रकाशित करने के अपने अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि इस समय एक राष्‍ट्रीय निकाय के तौर पर पुस्‍तकों के प्रकाशन एवं प्रमोशन के लिए एनबीटी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि पुस्तक के रूप में सुव्यवस्थित जानकारी पाठकों पर दीर्घकालिक प्रभाव डालती है और ट्रस्ट द्वारा इन पहलों के माध्यम से वही प्रदान की जा रही है।

कोरोना अध्‍ययन शृंखला को एनबीटी द्वारा विशेष रूप से परिलक्षित किया गया था ताकि कोरोना के बाद सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए प्रासंगिक पठन सामग्री प्रदान की जा सके। इन पुस्तकों की पहली-उप शृंखला के तहत ‘साइको-सोशल इम्पैक्ट ऑफ पैनडेमिक एंड हाउ टु कोव विद’ पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। एनबीटी द्वारा गठित सात मनोवैज्ञानिकों और काउंसलरों के एक अध्ययन समूह द्वारा इसे तैयार किया गया है।

अध्ययन के बाद यह शीर्षक तैयार किया गया है। इसमें व्‍यक्तिगत अध्‍ययन, मामले के अध्‍ययन और वेबसाइट एवं नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के सोशल मीडिया हैंडल के जरिये ऑनलाइन प्रश्‍नावली पर लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर सामुदायिक धारणा के अध्‍ययन के बाद समाज के सात विभिन्‍न क्षेत्रों पर मनोवैज्ञानिक- सामाजिक प्रभाव के विभिन्‍न पहलुओं पर गौर किया गया है।

27 मार्च और 1 मई 2020 के बीच किए गए इस अध्‍ययन और विश्लेषण से पता चलता है कि ‘संक्रमण का डर लोगों में चिंता का सबसे बड़ा कारण है और उसके बाद वित्तीय एवं अन्‍य घरेलू मुद्दों को चिंता का कारण माना गया।’ अध्ययन समूह ने सुझाव दिया है कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के निवारक मानसिक स्वास्थ्य घटक को दीर्घावधि रणनीति के तौर पर सुदृढ़ किया जाए। इससे कोरोना बाद की दुनिया में शारीरिक स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक अनुकूलनशीलता के साथ-साथ एक लचीला और अच्छी तरह से अनुकूलित समाज तैयार होगा। कुछ निपुण चित्रकारों द्वारा बनाए गए सुंदर चित्रों के साथ ये किताबें भी मानसिक तनाव और चिंता से निपटने के लिए मूल्यवान एवं व्यावहारिक सुझाव प्रदान करती हैं जो इस वैश्विक महामारी और लॉकडाउन के कारण हो सकती हैं।

यह भी पढ़ें- महुआ एक लाभ अनेक

इन पुस्‍तकों में वुल्‍नेरेबल इन ऑटम: अंडरस्‍टैंडिंग द एल्‍डरली (प्रमुख शोधकर्ता: जितेंद्र नागपाल और अपराजिता दीक्षित, इलस्‍ट्रेटर: अलॉय घोषाल), द फ्यूचर ऑफ सोशल डिस्‍टैंसिंग: न्‍यू कार्डिनल्‍स फॉर चिल्‍ड्रेन, एडोलेसेंट्स एंड युथ (प्रमुख शोधकर्ता: अपराजिता दीक्षित और रेखा चौहान, इलस्‍ट्रेटर: पार्थ सेनगुप्‍ता), द ऑर्डियल ऑफ बीइंग कोरोना वॉरियर्स: एन एप्रोच टु मेडिकल एंड इसेशियल सर्विस प्रोवाइडर्स (प्रमुख शोधकर्ता: मीना अरोड़ा और सोनी सिद्धु, इलस्‍ट्रेटर: सौम्‍या शुक्‍ला), न्‍यू फ्रंटियर एट होम: एन एप्रोच टु वुमेन, मदर्स एंड पेरेंट्स (प्रमुख शोधकर्ता: तरुण उप्‍पल और सोनी सिद्धु, इलस्‍ट्रेटर: आर्य प्रहराज), कॉट इन कोरोना कॉन्फ्लिक्‍ट: एन एप्रोच टु द वर्किंग पॉपुलेशन (प्रमुख शोधकर्ता: जितेंद्र नागपाल और तरुण उप्‍पल, इलस्‍ट्रेटर: फजरुद्दीन), मेकिंग सेंस ऑफ इट ऑल: अंडरस्‍टैंडिंग द कन्‍सर्न्‍स ऑफ परसंस विद डिसैबिलिटीज (प्रमुख शोधकर्ता: रेखा चौहान और हर्षिता, इलस्‍ट्रेटर: विकी आर्या) और एलिएनेशन एंड रेजिलिएंस: अंडरस्‍टैंडिंग कोरोना इफेक्‍टेड फैमिलीज (प्रमुख शोधकर्ता: हर्षिता और मीना अरोड़ा, इलस्‍ट्रेटर: नीतू शर्मा) शामिल हैं। इन पुस्‍तकों के साथ-साथ पूरक के तौर पर सात वीडियो भी जारी किए जा रहे हैं जिनमें पुस्‍तक सामग्री पर एक नजर डाली गई है।

ये पुस्‍तकें यहां उपलब्‍ध हैं: एनबीटी बुकशॉप, वसंतकुंज, नई दिल्‍ली

एनबीटी वेबसाइट www.nbtindia.gov.in/cssbooks

संपर्क करें: +91-8826610174

सीएसआर/ एचआर रीचआउट कार्यक्रमों के लिए कृपया लिखें: scoord@nbtindia.gov.in

अंतरराष्‍ट्रीय वितरण के लिए कृपया लिखें: scoord@nbtindia.gov.in

अंतरराष्‍ट्रीय भाषा अधिकार के लिए कृपया लिखें: nbtrightscell@gmail.com

पत्र सूचना कार्यालय द्वारा इस जारी विज्ञप्ति को अन्य भाषाओं में पढ़ने के लिए क्लिक करें-
Hindi | English | Telugu | Marathi | Bengali | Assamese | Punjabi | Tamil | Kannada
Source पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More